प्यार का पंछी
प्यार का पंछी
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प्यार का पंछी कैद ना रहता,
पिंजरे और दीवारों में।
उड़ता फिरता इधर-उधर वह,
मंदिर और मजारों में ।।
मिलता प्यार जहां पर उसको,
उसका ही हो जाता है,
कैद करोगे गर उसको तो,
तड़प तड़प मर जाता है।
उड़ने दो उन्मुक्त गगन में ,
चंदा और सितारों में।
प्यार का पंछी कैद ना रहता ,
पिंजरे और दीवारों में।।
कोमलता से पकड़ इन्हें तुम,
दुलराओ और प्यार करो,
जकड़ कभी इनको न लेना,
सुंदर सा सत्कार करो ,
कोमल पंख हैं वृहद उड़ाने,
नदियों और पहाड़ों में।
प्यार का पंछी कैद ना रहता
पिंजरे और दीवारों में।।
करुणा भरे हृदय में इनको,
शीतल सुंदर छांह मिले ,
पावन हो सुमधुर विचार यदि,
ममता पूरित बांह मिले,
लक्ष्य सघन हो राह सजीली,
निर्जन और बयारों में।
प्यार का पंछी कैद में रहता,
पिंजरे और दीवारों में ।
उड़ता फिरता इधर-उधर वह,
मंदिर और मजारों में।।
विनीता गुप्ता ,छतरपुर, मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक।
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 04:43 PM
👏🏻👌🏻
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Varsha_Upadhyay
14-May-2024 12:35 AM
Nice
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